जब आप आप औऱ मैं मैं नहीं रहता
- Get link
- X
- Other Apps
जब क्षितिज पर भोर का संकेत होने लगे,
पक्षी जब अपने नीड़ पर कुलबुलाने लगे ।
जब ओस की बूंदें बादलों और हवा से विलग होने को आतुर जान पढें,
पात पात जब उस ओस को अपने अपने अंग पर धरने को हों ख़ड़े ।
तब मेरे मानस पटल पर आप छाने लगते हैं ।।
जब भवरों का गान
और पंछी समुह का तान,
जब कोयल की कूक
हृदय में उठाये इक मधुर हूक ।
तब मेरी तन्द्रा में आप आने लगते हैं ।।
जब सूर्य की पहली किरण आँखों के पट धीरे से है खोले,
मलयज़ पवन कानों में प्यार से है कुछ बोले ।
मस्ती में लतिकायें अल्हड़ सी हैं यूँ डोले,
और जब प्रेम का ज्वर चढ़ने लगे होले होले ।
तब आप मुझे दीवाना बनाने लगते हैं ।
जब रवि से आँख मिलाये न बने,
जब शांत पेड़ हैं प्रहरी से तने ।
और गर्मी व पसीने में बार बार जो ठने,
निढाल से भाव हो उठें अनमने ।।
तब ओढ़नी सा आप और आपका साथ विश्राम दिलाने लगते हैं।।
फिसलता जा रहा है धीरे धीरे से दिन,
ओढ़ रही है शाम तारों की चादर गिन गिन।
जब थमने लग जाय दिन भर का धमाल,
और कोई भी रह न पाये जब पी के बिन ।
तब मद्धिम मद्धिम सा नशा बन आप छाने लगते हैं ।।
--अरविंद कपूर --
|
- Get link
- X
- Other Apps
बहुत ही सुन्दर रचना । आप तो हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होने योग्य कवि हैं । भेजिए ।
ReplyDeleteहौसलाअफजाई के लिए शुक्रिया
Deleteबहुत ही सुंदर रचना है सर आपकी
ReplyDeleteReally remarkable writing. The caputuring of imagination independent of the pen. We need such fresh air to keep the pollutants away.
ReplyDeleteThanks for the poetic comments
Deleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteअति सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना । Deep insight. Keep it up.
ReplyDeleteP.Chowdhury
Thanks a lot Priyatosh
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना | प्रेम की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति | सर बहुत ही बढ़िया लिखा है |
Deleteशुक्रिया
Deleteआप को अच्छा लगा यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है ।
बहुत ही मनमोहक रचना ।
ReplyDeleteThanks a lot dear Raj
DeleteLove the way you weave your feelings.. keep writing 👍
ReplyDeleteThanks Nidhi for the compliments
DeleteLove the way you weave your feelings.. keep writing 👍
ReplyDelete